ब्लैक होल

जीवन के थमे हुए चके फिर


चलने लगे हैं आपदा से डरे हुए


लोग संसार व्यापी इस महा समर


यहां वहां घायल कराह रहे हैं


खुद ही उठना होगा खुद ही


सम्हलना होगा धीरे धीरे


उठना होगा कोई मसीहा


नही आएगा तुम्हें सम्भालने


ये मानव धर्म तुम्हे ही निभाना


होगा याद है ना क्या कहा


था गौतम ने कि अपना


दीपक स्वयम बनो


तो बंधु अब हमें आपदाओं


से घिरे रह कर ही अपनी


अपनी मंज़िल तक जाना होगा


दरअसल धरती माँ की


सहन शक्ति अब समाप्त हो


गई है धरती पुत्रों ने


बहुत अत्याचार किये हैं


अपनी ही पृथ्वी पर


बहुत ज़ुल्म ढाए हैं


त्राहि त्राहि कर उठी है


प्रकृति तो अब समय आ


गया है मनुष्यों के प्रायश्चित का


अब भी सम्हल जाओ 


प्रकृति का सम्मान करना


सीख जाओ नही तो


सम्पूर्ण मानवता को 


ब्लैक होल में जाने में देर नही लगेगी